अरवल: भारत के संविधान, लोकतंत्र और बहुजन समाज के मौलिक एवं संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु आज अरवल प्रखंड कार्यालय परिसर में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष एकजुट होकर भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा और अन्य संगठनों ने संयुक्त रूप से "राष्ट्रव्यापी जेल भरो आंदोलन" के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया।
इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर मा. वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा) और मा. चौधरी विकास पटेल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा) कर रहे हैं। आंदोलन का आयोजन देश के करीब 500 जिलों में एक साथ किया जा रहा है।
प्रदर्शन के प्रमुख मुद्दे रहे:
1. EVM हटाकर बैलेट पेपर से पारदर्शी चुनाव की मांग:
आंदोलनकारियों ने कहा कि ईवीएम प्रणाली के माध्यम से लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है और 3.5% शासक वर्ग सत्ता पर कब्जा जमा रहा है। चुनाव में पारदर्शिता लाने हेतु बैलेट पेपर प्रणाली की बहाली की मांग की गई।
2. ओबीसी की जातिगत जनगणना की मांग:
जातिगत जनगणना न करने को संविधान विरोधी बताते हुए, इसे पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने की साजिश करार दिया गया।
3. महापुरुषों का अपमान और अमित शाह की टिप्पणी का विरोध:
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। प्रदर्शनकारियों ने गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
4. महाबोधि महाविहार की मुक्ति की मांग:
बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर को बौद्ध अनुयायियों के हवाले किए जाने की मांग करते हुए इसे बहुजन समाज की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर बताया गया।
5. वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का विरोध:
प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए, इसके खिलाफ आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी गई।
6. स्थानीय स्तर पर बहुजन समाज के उत्पीड़न और अन्याय के मुद्दे:
जिले में हो रहे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक अन्यायों पर ध्यान देने की मांग की गई। आंदोलनकारियों ने जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील की।
प्रमुख उपस्थिति:
इस मौके पर राकेश कुमार (जिला अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा, अरवल), सरोज रविदास, असलम मंसूरी, अधिवक्ता राम विनय सिंह, सिकंदर कुमार, कौशल रविदास, जंग बहादुर पंडित, रमन प्रसाद और राजकुमार राम समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
मीडिया से अपील:
आयोजकों ने सभी मीडिया संस्थानों से इस आंदोलन की निष्पक्ष और व्यापक कवरेज की अपील की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी बचेगा जब सच्चाई की आवाज जन-जन तक पहुँचेगी।
"यह आंदोलन सिर्फ विरोध नहीं, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की पुकार है। इसे दबाया नहीं, उठाया जाना चाहिए।"