पटना: मद्यनिषेध विभाग की बड़ी कार्रवाई, चार अधिकारी निलंबित

Satveer Singh
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पटना: मद्यनिषेध विभाग की बड़ी कार्रवाई, चार अधिकारी निलंबित

पटना: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के तहत मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उत्पाद आयुक्त सह निबंधन महानिरीक्षक रजनीश कुमार सिंह के निर्देश पर हुई। आरोप है कि ये अधिकारी शराबबंदी कानून के तहत झूठे मामलों में फंसाने के लिए रिश्वत मांग रहे थे।

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व्हाट्सएप पर शिकायत के बाद कार्रवाई

पूर्णिया निवासी सोनू कुमार पोद्दार ने 1 दिसंबर की रात व्हाट्सएप पर एक आवेदन और ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि चार अधिकारी—

• सुमन कांत झा (निरीक्षक),

• चंदन कुमार (अवर निरीक्षक),

• दिनेश कुमार दास (सहायक अवर निरीक्षक), और

• प्रदीप कुमार (सिपाही)—

ने उनसे झूठे मामले में फंसाने के बदले रिश्वत मांगी।

ऑडियो में गाली-गलौज और धमकी

शिकायत में अधिकारियों पर गाली-गलौज करने और धमकी देने का भी आरोप है। आवेदन के साथ भेजी गई ऑडियो रिकॉर्डिंग में आरोपियों की बातचीत दर्ज थी, जिसने उनके भ्रष्टाचार को उजागर किया।

जांच में आरोप सही पाए गए

आयुक्त ने मामले की जांच के लिए पूर्णिया के सहायक आयुक्त, मद्यनिषेध को निर्देश दिया। जांच के दौरान सभी आरोप प्रथमदृष्टया सही पाए गए। इसके बाद चारों अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया। संतोषजनक जवाब न मिलने पर सभी को निलंबित कर दिया गया।

आयुक्त की सख्त चेतावनी

उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा:

“जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अन्य शिकायतों की भी जांच जारी है।”

बिहार में शराबबंदी और भ्रष्टाचार के आरोप

बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी कानून के तहत प्रशासनिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते रहे हैं। इस घटना ने सरकार की पारदर्शिता और कानून के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े किए हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

इस कार्रवाई के बाद जनता ने विभाग की तत्परता की सराहना की है, लेकिन यह भी मांग की है कि सभी अधिकारियों की गहन जांच होनी चाहिए ताकि शराबबंदी कानून की आड़ में हो रहे भ्रष्टाचार पर पूर्ण विराम लगाया जा सके।

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निष्कर्ष

यह कार्रवाई बिहार सरकार के लिए एक संदेश है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, इस कदम को तभी सफल माना जाएगा जब अन्य शिकायतों पर भी इसी तरह की कार्रवाई हो और कानून का पालन सुनिश्चित किया जाए।

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