भारत का विदेशी ऋण 2024 में 646.8 अरब डॉलर (करीब 54,800 अरब रुपये) तक पहुंच गया है, जो 2010 में सिर्फ 290 अरब डॉलर था। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस ऋण का 77 प्रतिशत लंबी अवधि का है, जबकि शेष कम अवधि का ऋण है। दिलचस्प बात यह है कि भारत का एक तिहाई विदेशी ऋण विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं से है, जो कुल बकाया का 11 प्रतिशत हैं। इसके अलावा, जापान, रूस और जर्मनी जैसे देशों ने भी भारत को ऋण दिया है।
यह बढ़ता हुआ विदेशी ऋण भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह विकासात्मक योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण पूंजी भी प्रदान कर रहा है।
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भारत के विदेशी ऋण में एक बड़ा बदलाव, क्या अर्थव्यवस्था पर असर होगा?
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