उत्पादन की नई विधि
महिलाएं 5 किलो गर्म पानी से उपचारित भूसा को एक प्लास्टिक बाल्टी में रखकर उसमें मशरूम बीज छिड़कती हैं। इस विधि से एक बार में 5 से 7 किलो मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। इसके बाद, महिलाएं फिर से नई फसल के लिए भूसा भरती हैं, जिससे निरंतर उत्पादन संभव होता है।
जैविक उत्पादन
इस प्रक्रिया के माध्यम से महिलाएं जैविक मशरूम उगाने में सक्षम हो रही हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इस नई तकनीक ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की है, बल्कि प्लास्टिक के अनावश्यक उपयोग को भी कम किया है।
सरकारी प्रोत्साहन
बिहार सरकार मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। कृषि विभाग सचिव संजय कुमार अग्रवाल के अनुसार, सरकार ने मशरूम उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान देने की व्यवस्था की है। इसके अलावा, मशरूम स्पॉन निर्माण और कम्पोस्ट इकाइयों के लिए भी अनुदान उपलब्ध है।
निष्कर्ष
इस नए तरीके से मशरूम की खेती महिलाओं के लिए आय का एक अच्छा स्रोत बन गया है। साथ ही, यह बिहार की कृषि विकास में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सफलता की कहानी न केवल महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती है।
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